
जो साथ चले बनके साया, हाँ, केवल वो नारी है।
Ashaar Ali, Project Lead, Arcgate
Ashaar Ali works as a Project Lead at Arcgate, a Reputable IT Company in Udaipur. He also excels in Singing, Anchoring, Scriptwriting and more.
He shares a self composed poem on the occasion of International Women’s Day:
वो नारी है ......
वो सावित्री है, वो सीता है , वो द्रौपदी है, गांधारी है,
वो दुर्गा है मां काली है, वो लक्ष्मी है, वो नारी है।
वो सुन्दर है, वो कोमल है, पर हर विपदा पर भारी है,
वो भक्ति है, वो शक्ति है, वो हिम्मत है, वो नारी है।
उससे ही घर में बरकत है, उसके चरणों में जन्नत है,
वो प्रार्थना है, वो मन्नत है, वो प्रेरणा है वो किस्मत है।
वो संपूर्ण है, सशक्त है, वो सक्षम है गुणकारी है,
वो ममता है, वो करुणा है, वो प्रेम है, वो नारी है।
वो निर्माण है तो विनाश भी, अगर खुश है वो तो हताश भी,
वो संघर्षों के अंधियारों में उम्मीद का प्रकाश भी,
वर्चस्व के इस द्वंद्व में अब उसकी ही बारी है,
जो समाज का मूल है, निश्चित ही वो नारी है।
वो अपनेपन की परिभाषा है, नवयुग की एक आशा है,
हर ग़म को मधुर बनाती उसकी भी अपनी अभिलाषा है।
समाज की धरोहर है, हम सब की जिम्मेदारी है,
जो दुःख सह के सुख देती है, निश्चित ही वो नारी है।
जो दया भी है, दिशा भी है,
जो दर्द है अगर तो दवा भी है।
यह ह्रदय उसकी इस शक्ति का शत् शत् आभारी है,
जो साथ चले बनके साया, हाँ, केवल वो नारी है।।
This poem celebrates the multifaceted nature of womanhood, highlighting strength, compassion, and resilience. It positions women as the foundation of society, emphasizing their dignity and importance. The poem expresses Poet Ashaar Ali's deep respect and gratitude for women.